राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त का जीवन परिचय एवं साहित्यिक उपलब्धियाँ | Maithili Sharan Gupt ki Jivani 2023

Maithili sharan gupt ki jivani - हम इस पोस्ट में आपको Maithili sharan gupt ka jeevan parichay और उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के बारे में बताने जा रहे हैं। इसके अंतर्गत आप उनकी कृतियों, काव्यगत विशेषताओं, हिन्दी साहित्य में स्थान आदि के बारे में जानेंगे। 

maithili sharan gupt ki jivaniदोस्तों, हमने इस पोस्ट में मैथिलीशरण गुप्त जी के जीवन परिचय से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी दी है। पिछले पोस्ट में हमने तुलसीदास, डॉ. राजेंद्र प्रसाद और पुन्नालाल बख्शी जैसे अन्य महान रचनाकारों के जीवन परिचय के बारे में भी बताया है, जिसे आप पढ़ सकते हैं। 

Maithili sharan gupt ki Jivani

मैथिलीशरण गुप्त का जन्म झाँसी जिले के चिरगांव नामक जगह पर 1886 ई० (सम्वत 1943 वि०) में हुआ था। इनके पिता का नाम रामचरण गुप्त था जिन्हें हिन्दी-साहित्य से बहुत लगाव था। मैथिलीशरण गुप्त जी के पिता को हिन्दी-साहित्य से बहुत ही प्रेम था इसलिए इन्हें भी इसका बहुत ही प्रभाव पड़ा।

इन्होंने अपने घर पर ही हिन्दी, अंग्रेजी, और संस्कृत का अध्ययन किया। इनकी प्रारम्भिक रचनाएँ कलकत्ता से प्रकाशित होने वाली एक पत्र में छपती थी, उस पत्र ' वैश्योपकारक' था।

मैथिलीशरण गुप्त को राष्ट्रकवि क्यों कहा जाता है ?

मैथिलीशरण गुप्त की मुलाकात बाद में आचार्य महावीर द्विदेदी से हुई और उनके संपर्क में आने के बाद उनके आदेश, उपदेश और स्नेहमय परामर्श से उनके काव्य में बहुत ही निखार आया। मैथिलीशरण गुप्त जी द्विदेदी जी को अपना गुरु मानते थे। महात्मा गांधी जी ने उनकी राष्ट्रीय विशेषताओं से भरी हुई रचनाओं के लिए उन्हें "राष्ट्रकवि" की उपाधि प्रदान की।

इनकी प्रसिद्ध महाकाव्य के लिए हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा "मंगलप्रसाद पारितोषिक" से उन्हें नवाजा गया। इसके बाद भारत सरकार ने मैथिलीशरण गुप्त जी को पद्मभूषण से सम्मानित किया। मैथिलीशरण गुप्त जी का निधन 12 दिसंबर 1964 को हुआ था। 

Maithili sharan gupt In Hindi

मैथलीशरण गुप्त जी ने अपने जीवनकाल में बहुत सारी रचनाएँ की थीं और उन्होंने खड़ी बोली के स्वरूप के निर्धारण एवं विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। गुप्त जी की रचनाओं में इतिवृत्तात्मक और कठोरतापूर्ण दोनों ही विशेषताएं दिखाई देती हैं।

Maithili sharan gupt ki kavita (कृतियाँ)

गुप्त के लगभग 40 मुख्य काव्य ग्रंथो  निम्नलिखित है जो बहुत ही प्रसिद्ध हैं। 

  • भारत-भारती
  • किसान 
  • शकुन्तला 
  • पंचवटी 
  • त्रिपथगा 
  • साकेत 
  • यशोधरा 
  • द्वापर 
  • नहुष 
  • काबा और कर्बला 
  • अनघ 
  • तिलोत्तमा 
  • चद्रहास 

Maithili sharan gupt ki kavyagat visheshta in hindi

तो दोस्तों आपने ऊपर Maithili sharan gupt ka jeevan parichay साहित्यिक परिचय तथा उनकी रचनाओं के बारे में पढ़ा हैं, अब यहाँ पर हम मैथिलीशरण गुप्त जी की काव्यगत विशेषताओं का विस्तार से वर्णन करने वाले हैं। जो निम्नलिखित दो पक्षों में विभाजित हैं। 

  • भाव-पक्ष 
  • कला-पक्ष 

भाव-पक्ष-

  • राष्टप्रेम-
राष्ट्रप्रेम गुप्त जी की कविता का मुख्य स्वर हैं। इनकी रचनाओं में आज की समस्याओं एवं विचारों के स्पष्ट दर्शन होते हैं। इसका एक मुख्य उद्देशय भारतीय जनता में राष्ट्रीय चेतना जागृत करना था। इन्होने ऐसे समय में लोगों में राष्ट्रीय चेतना जगाया।  

जब हमारा देश गुलामी की जंजीरो में बंधा हुआ था। तब मैथलीशरण गुप्त जी ने देशवासियों में स्वदेश प्रेम जागृत करते हुए इन्होंने कहा भी हैं -
"जो भरा नहीं हैं भावों से, बहती जिसमें रस धार नहीं। 
वह ह्रदय नहीं हैं पत्थर हैं, जिसमे स्वदेश प्रेम का प्यार नहीं।
  • नारी का महत्त्व-

नारी का महत्त्व गुप्त जी का ह्रदय नारी के प्रति करुणा व सहानुभूति से परिपूर्ण हैं। इन्होंने नारी की स्थिति को ऊँचा उठाने के लिए सदियों से उपेक्षित उर्मिला एवं यशोधरा जैसी नारियों के चरित्र का उदात्त चित्रण करके एक नयी परंपरा का सूत्रपात किया। 

  • भारतीय संस्कृति के उन्नायक-

भारतीय संस्कृति के उन्नायक मैथलीशरण गुप्त जी भारतीय संस्कृति के प्रतिनिधि कवि हैं। इसलिए इन्होंने भारत के गौरवशाली अतीत का सुन्दर चित्रण किया हैं। इनका मानना था कि सुन्दर वर्तमान और स्वर्णिम भविष्य के लिए अतीत को जानना अत्यंत आवश्यक हैं। 

  • प्रकृति चित्रण- 

प्रकृति चित्रण में ह्रदय को आकर्षित कर लेने  क्षमता एवं सरसता हैं। इनमें प्रकृति को आकर्षक रूप देने में अत्यधिक कुशलता हैं। 

  • रस योजना-

गुप्त जी की रचनाओं में अनेक रसों  सुन्दर समन्वय हैं। श्रृंगार साकेत में श्रृंगार, रौद्र, वीभत्स, हास्य एवं शान्त रसों के प्रसंगो में गुप्त जी अत्यधिक सफल रहे। 

साकेत में श्रृंगार रस के दोनों पक्षों-संयोग एवं वियोग का सुन्दर समन्वय देखने को मिलता हैं। प्रसंगानुसार इनके काव्य में ऐसे स्थल भी हैं, जहाँ पात्र अपनी गंभीरता को भूलकर हास्यमय हो गए हैं। 

कला पक्ष 

  • भाषा-

भाषा खड़ी बोली को साहित्यिक रूप देने में गुप्त  जी का महत्वपूर्ण योगदान हैं। गुप्त जी की भाषा में माधुर्य, भावों में तीव्रता और और प्रयुक्त शब्दों का सौंदर्य अद्भुत हैं। 

इन्होंने ब्रजभाषा के जगह पर आसान परिष्कृत खड़ी बोली में काव्य सृजन करके उसे काव्यभाषा के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

ये गंभीर विषयों को भी सुन्दर और सरल शब्दों में प्रस्तुत करने में माहिर थे। इनकी भाषा में लोकोक्तियाँ एवं मुहावरे  प्रयोग से जीवन्तता आ गयी। 

  • शैली- 

मैथलीशरण गुप्त जी ने अपने समय में प्रचलित लगभग सभी शैलियों का प्रयोग अपनी रचनाओं में किया हैं। गुप्त जी मूलतः प्रबन्धकार थे, लेकिन प्रबंध के साथ-साथ मुक्तक, गीति, गीति-नाट्य, नाटक आदि के क्षेत्रों में भी इन्होने अनेक सफल रचनाएँ की हैं। 

इनकी रचना 'पत्रावली' पत्र शैली  रचित नूतन काव्य-प्रणाली का नमूना हैं। इनकी शैलियों में गेयता, सहज प्रवाहमयता, सरसता एवं संगीतात्मक समाई होती हैं। 

  • छन्द एवं अलंकार-

गुप्त जी ने प्रचलित छन्दो में अपनी रचनाये प्रस्तुत की। इन्होंने मन्दाक्रान्ता, वसन्ततिलक, द्रुतविलम्बित, हरिगीतिका, बरवै आदि छंदो में अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की हैं। इन्होंने तुकांत, अतुकांत एवं गीति तीनों प्रकार के छंदो का सामान अधिकार प्रयोग किया हैं। 

अलंकार क्षेत्र में इन्होंने उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, यमक, श्लेष अतिरिक्त ध्वन्यर्थ-व्यंजना, मानवीकरण जैसे आधुनिक अलंकारों का भी प्रयोग किया हैं। अन्त्यानुप्रासों की योजना में इनका कोई जोड़ नहीं हैं।   

मैथिलीशरण गुप्त का साहित्य में स्थान

मैथलीशरण गुप्त जी के रचित हिंदी साहित्य में राष्ट्रीय भावनाओं का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इनकी रचनाएं राष्ट्रीयता की भावनाओं को बढ़ावा देने वाली ओत-प्रोत हैं। हिन्दी काव्य में राष्ट्रीय भावों की पुनीत गंगा को बहाने में भी मैथलीशरण गुप्त जी का बहुत योगदान है।

इसलिए इन्हें सच्चे राष्ट्रकवि माना जाता है जो असली मतलब में लोगों में राष्ट्रीयता के भावों को भरकर उन्हें जागृत करते हैं। इनका काव्य हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि है।

मैथिलीशरण गुप्त से सम्बंधित FAQ

Q.1-गुप्त जी का जन्म कहाँ हुआ था?

Ans-चिरगावं

Q.2-साकेत का प्रकाशन कब हुआ?

Ans-25 सितम्बर , 2005 

Q.3-रंग में भंग का प्रकाशन वर्ष क्या है?

Ans-1909

Q.4-साकेत रचना किसकी है?

Ans-मैथिलीशरण गुप्त 

Q.5-मैथिली शरण गुप्त का जन्म कहाँ और कब हुआ?

Ans-मैथिलीशरण गुप्त का जन्म झाँसी जिले के चिरगांव नामक जगह पर 1886 ई० (सम्वत 1943 वि०) में हुआ था। 

Q.6-साकेत रचना पर गुप्त जी को कौन सा पुरस्कार प्राप्त हुआ?

Ans-साकेत रचना पर गुप्त जी को मंगला प्रसाद पारितोषिक तथा साहित्य वाचस्पति की उपाधि से नवाजा गया 

Q.7-रंग में भंग रचना किसकी है?

Ans-मैथलीशरण गुप्त 

Q.8-भारत के प्रथम राष्ट्रकवि कौन हैं?

Ans-भारत के प्रथम राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी हैं। 

Q.9-मैथिलीशरण गुप्त के पिता जी का क्या नाम था?

Ans-रामचरण गुप्ता

Q.10-मैथिलीशरण गुप्त की मृत्यु कब हुई?

Ans-12 दिसंबर 1964

Last Word

दोस्तों आपने इस पोस्ट में जाना Maithili sharan gupt ka jeevan parichay और उनके साहित्यिक परिचय के बारे में मुझे आशा है कि आपको मैथलीशरण गुप्त का जीवन परिचय एवं साहित्यिक उपलब्धियों के बारे में अच्छी जानकारी मिली होगी। अगर आपको Maithili sharan gupt ki jivani से सम्बंधित कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट में जरूर बताएं।

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